तैल प्रयोग विधि
शीशी हिलाकर ही तैल का प्रयोग करें ।
- गठिया ( बायः) छोटे बड़े जोड़ों का दर्द, कमर दर्द एवं सायटिका में तेल की कुछ मात्रा लेकर हल्के हाथ से पीड़ित स्थान पर लेप करें फिर कपड़े से ढाप दें, दो मिनट बाद सेंक एवं आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा ।
- चोट-मोच, हड्डियों का तड़कना नस का चढ़ना आदि में लेप करके कपड़े से ढाप दें ।
- बच्चों की पसली चलने, सर्दी जुकाम में सांस लेने में तकलीफ होने एवं पॉजर लगने पर एक ढक्कन तैल आधा ढक्कन सरसों का तैल मिलाकर, पसलियों में लेप करें कर कपड़े से ढाप दें, तुरन्त आराम मिलना शुरू हो जायेगा ।
- सर्दी जुकाम नाक बन्द एवं गला बैठने पर भाप उठते पानी में एक ढक्कन आर्थोप्लस तैल डालकर खूब भाप लें तथा नाक और मुँह से भाप अन्दर खींचें तत्काल आराम मिलेगा ।
- दाँत दर्द, मसूढ़ों की सूजन तथा पानी लगने पर एक गिलास गुनगुने पानी में एक ढक्कन आर्थोप्लस मिलाकर खूब कुल्ला करें, आराम मिलेगा।
- बालों में डैन्ड्रफ, रूसी एवं सिर के जुओं के लिये, स्नान करने के एक घण्टे पूर्व लगाकर स्नान करें।
- उभरती हुई लाल रंग की फुन्सियों एवं फोड़े पर लगा दें, फुन्सी बैठ जायेंगे।
- साधारण खुजली में गरी के तैल में मिलाकर लगायें ।
- बर्र, ततैया एवं विषैले कीटाणुओं के काटने पर दंश स्थान पर तेल लगायें ।
तैल के ३० मिली. पैक लेते समय कम्पनी के नाम ( BASIL ) से मिलान अवश्य कर लें, क्योंकि नकली तैल हरे रंग के पैक में बिक रहा है 1
( सावधानी – तैल लगे स्थान पर सिंकाई न करें छाले पड़ सकते हैं। विशेष – गठियाबाय (जोड़ों में दर्द व सूजन) को जड़ से खत्म करने के लिए आर्थोप्लस तैल व पाउडर दोनों साथ-साथ प्रयोग करें। पाउडर के साथ तैल मुफ्त प्राप्त करें। आर्थोप्लस पाउडर बाजार में उपलब्ध है ।
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